रब ने भी हँस के कहा तू भी तो मूरत है मेरी रब ने भी हँस के कहा तू भी तो मूरत है मेरी
सतयुग वाला रावण रोये, देख कलयुग का प्रसार। द्वापर का दुःशासन विस्मित, नित देखा जब दुराचार।। सतयुग वाला रावण रोये, देख कलयुग का प्रसार। द्वापर का दुःशासन विस्मित, नित देख...
पढ़ें, आज के हालात पर लिखी गई रचना.. पढ़ें, आज के हालात पर लिखी गई रचना..
आराधना सी महसूस होती है मेरे भीतर मेरे रक्त की बूँद से सिंचित मौन संवाद साधे कहती आराधना सी महसूस होती है मेरे भीतर मेरे रक्त की बूँद से सिंचित मौन संव...
घर में घर में
मध्यांतर में मध्यांतर में